मंच के संरक्षक व आरएसएस (RSS) के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार ने इस दौरान कहा कि पाकिस्तान को उसी को भाषा में जवाब देना चाहिए और वैसे लोग जिनका अपने देश की सरजमीं पर दम फूलता है और यहां रहने में उन्हें बेचैनी का एहसास होता है, उन्हें जहन्नुम में भी जगह नसीब नहीं होती है।
इंद्रेश कुमार ने कहा कि अगर पाकिस्तान में यह नारा लगाया जाता है कि कश्मीर के बिना पाकिस्तान अधूरा है तो हमें भी यह नारा लगाने से कोई रोक नहीं सकता कि लाहौर, कराची व ननकाना साहब के बिना भारत अधूरा है।
इंद्रेश कुमार ने दावा किया कि बलूचिस्तान और सिंध आदि हिस्से पाकिस्तान से अलग हो सकते हैं। यहां के लोग पाकिस्तान से अलग होने के लिए आंदोलन चला रहे हैं। उन्होंने कहा कि 1947 में भारत से पाकिस्तान टूटा था और 1971 में पाकिस्तान से बांग्लादेश अलग हो गया, मगर यह सभी भारत का ही हिस्सा थे। आज भारत के इर्द-गिर्द कई सीमाएं बन गई हैं। सीमाओं की रक्षा के लिए हमें अरबों रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं।
उन्होंने इशारों में देश के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी का जिक्र करते हुए कहा कि कुछ बुद्धिजीवी वर्ग के लोग कहतेे हैं कि इस देश में मुसलमानों में बेचैनी और असुरक्षा का भाव है, जबकि इस देश का मुसलमान हिंदुस्तानी था, हिंदुस्तानी है और हिंदुस्तानी ही रहेगा। उसे अपने देश से बेहद प्यार है और उसको यहां कोई डरा नहीं सकता। इंद्रेश कुमार ने कहा कि संविधान सभा में अनुच्छेद 370 का सभी मुस्लिम सदस्यों ने विरोध किया था। खुद बाबासाहेब ने भी इसका विरोध किया था मगर उस समय के प्रधानमंत्री ने अनुच्छेद 370 को अल्पकालिक तौर पर कश्मीर में लगाया था। 70 साल बाद मोदी सरकार ने इसे समाप्त किया।
उन्होंने कहा कि सरकार ने महिलाओं को तीन तलाक से छुटकारा दिलाया और कानून बनाकर महिलाओं को मान-सम्मान से जीने का हक प्रदान किया है। उन्होंने कहा कि मुस्लिम समाज को हमेशा वोट बैंक समझा गया है। वर्तमान सरकार ने उनकेवर्तमान सरकार ने उनके हक की बात की है और उन्हें इज्जत के साथ जीने का मौका दिया है।