भोजन बिल, या गलत बिल या धन की हेराफेरी के बारे में मांगा स्पष्टीकरण
मोरिंडा, 6 जनवरी (भटोआ)
श्री चमकौर साहिब सभा क्षेत्र के विधायक डा. चरनजीत सिंह ने भारत के निर्वाचन आयोग से पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी द्वारा उनकी चल-अचल संपत्ति के संबंध में दायर हलफनामे की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है.
इस संबंध में अपने मोरिंडा स्थित कार्यालय में आमंत्रण पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए डा. चरनजीत सिंह ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री श्री चन्नी द्वारा विधानसभा चुनाव के दौरान भारत के निर्वाचन आयोग को दिये गये शपथ पत्र में अपनी चल अचल संपत्ति 4.75 करोड़ रुपए दिखाई गई है, जबकि उनके मोरिंडा और खरड़ स्थित आलीशान महलों की कीमत 25 करोड़ रुपए से ज्यादा है। उन्होंने चुनाव आयोग से मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है.
विधानसभा क्षेत्र के विधायक डॉ. चरणजीत सिंह ने यह भी आरोप लगाया कि उन्हें विश्वस्त सूत्रों से जानकारी मिली है कि पूर्व मुख्यमंत्री के मोरिंडा स्थित महल में लगभग 150 टिप्परों को श्री चमकौर साहिब के नहर विश्राम गृह के समीप अवैध खनन कर भर्ती के लिए इस्तेमाल किया गया है.
पूर्व मुख्यमंत्री के तीन महीने के कार्यकाल के दौरान 60 लाख रुपये के खाद्य बिलों के बारे में बोलते हुए, क्षेत्र के विधायक ने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री से स्पष्ट करने के लिए कहा है कि या तो ये बिल गलत हैं या इस पैसे का दुरुपयोग किया गया है। पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा कहना कि यह खाना पंजाब के लोग खाते रहे हैं तो उन्होंने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की और कहा कि यह खाना पंजाब के लोगों ने नहीं बल्कि पूर्व मुख्यमंत्री से जुड़े लोटू जुंडली ने खाया, जो कि हमेशा साए की तरह उनके साथ रहती थी.इस मौके पर उनके साथ सिकंदर सिंह सहेड़ी बलाक अध्यक्ष ,वरिंदरजीत सिंह पीए, मास्टर कमल सिंह गोपालपुर, श्रीमती मनजीत कौर, श्रीमती अमृतपाल कौर नागरा, निर्मलपीत सिंह मेहरबान, संजीव कुमार आदि भी मौजूद रहे.
वहीं जब उपरोक्त आरोपों को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री स. चरनजीत सिंह चन्नी से संपर्क किया गया तो उन्होंने आरोपों से इनकार किया और कहा कि उन्होंने कानून और संविधान के अनुसार सारा काम किया है, लेकिन आप सरकार उनहे जानबूझ कर बदनाम कर रही है. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार उनके तीन महीने के कार्यकाल की जांच करके क्या साबित करना चाहती है और उनसे पहले दशकों तक मुख्यमंत्री पद का आनंद लेने वाले नेताओं को इस जांच में शामिल क्यों नहीं करना चाहती, क्या आप सरकार के उनके साथ कोई आंतरिक संबंध हैं ?