मोरिंडा 25 दिसंबर (भटोआ)
दसम पिता श्री गुरु गोबिंद सिंह जी की पूज्य माता गुजरी जी और छोटे साहिबजादे बाबा जोरावर सिंह बाबा फतेह सिंह जी लसानी की शहादत को समर्पित सफर ए शहादत कफले ने बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के साथ गुरुद्वारा श्री कोतवाली साहिब मोरिंडा में सिज्जदा किया.
इस संबंध में जानकारी देते हुए भाई हरपाल सिंह जी हेड ग्रंथी गुरुद्वारा श्री फतेहगढ़ साहिब और बाबा सुरिंदर सिंह कार सेवा दिल्ली ने बताया कि इन महान शहीदों की स्मृति में पंथ के महान रागी कीर्तन जत्थे और कथावाचक भाई प्रीत अमन सिंह मोहाली, भाई शुभदीप सिंह हजूरी रागी श्री दरबार साहिब, बीबी रविंदर कौर पटियाला, भाई कुलविंदर सिंह महल हजूरी रागी श्री दरबार साहिब, भाई सतिंदर वीर सिंह हजूरी रागी दरबार साहिब, भाई सतनाम सिंह कोहनड़का, भाई तजिंदर सिंह जी, भाई नछतर सिंह जी और ज्ञानी हरपाल सिंह आदि ने कथा और कीर्तन के माध्यम से कथा और कीर्तन के माध्यम से सत्य के मार्ग पर चलने वाले इन महान शहीदों द्वारा दी गई शहादत के प्रसंग से संगत को जोड़ा। इस मौके पर संगत को संबोधित करते हुए गुरुद्वारा श्री फतेहगढ़ साहिब के प्रमुख ग्रंथी भाई हरपाल सिंह जी ने युवा पीढ़ी को इन महान शहीदों की शहादत से प्रेरणा लेने और अमृतपान कर नशे और अन्य बुराइयों से दूर रहने और बाणी और बाणे के धाररनी बनने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने कहा कि कई सांप्रदायिक ताकतें सांप्रदायिक सत्ता को तोड़कर कर सांप्रदायिक संगठनों को कमजोर करने के लिए चालें चल रही हैं, जिसे केवल सांप्रदायिक एकता से ही रोका जा सकता है। इस मौके पर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के कनिष्ठ उपाध्यक्ष जत्थेदार अवतार सिंह रिया, जत्थेदार अजमेर सिंह खेड़ा व जत्थेदार दलजीत सिंह भिंडर जत्थेदार जगजीत सिंह रतनगढ़ सदस्य शिरोमणि गुरुद्वारा कमेटी जत्थेदार हरपाल सिंह दातारपुर सदस्य स्थानीय कमेटी सहित बड़ी संख्या में सिख संगतें मौजूद रहीं।
गौरतलब है कि यह काफला उन पवित्र स्थानों पर कथा और कीर्तन से संगत को जोड़ता है, जहाँ माता गुजरी जी और छोटे साहिबजादों ने श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के परिवार के बिछड़ने के बाद रातें बिताई थीं। इससे पहले इस काफले ने कौम के इन महान शहीदों को कथा और कीर्तन के माध्यम से गांव चक ढेरां के गुरुद्वारा साहिब भाई कुम्मा मशकी में और बीती रात गंगू ब्राह्मण के घर गुरुद्वारा श्री अटक साहिब सहेड़ी में श्रद्धांजलि अर्पित की है. ज्ञानी हरपाल सिंह के मुताबिक, काफले का अंतिम पड़ाव गुरुद्वारा श्री ठंडा बुर्ज श्री फतेहगढ़ साहिब में होगा.