मोरिंडा 16 जून (भटोआ)
पंजाब विधानसभा के पूर्व डिप्टी स्पीकर बीर दविंदर सिंह ने सिंचाई विभाग के 1000 करोड़ रुपये के घोटाले को कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार से भी बड़ा घोटाला करार दिया है, जिसकी अलग से जांच की जानी चाहिए। पंजाब के लोग मुख्यमंत्री भगवंत मान से यह उम्मीद करने लगे हैं कि अब समय आ गया है कि कैप्टन और बादल के अधीन 'क्रूर जानवरों' की तरह आम लोगों का मांस काटने और खून पीने वाले 'कबूतरों' के पंख तोड़ने का अब समय आ गया है।
यहां भेजे गए एक प्रेस नोट में पूर्व स्पीकर ने कहा कि उनकी जानकारी के अनुसार कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने अनाधिकृत रूप से अपने पसंदीदा सलाहकारों में से एक को विजिलेंस विभाग सौंप दिया था। इस विभाग में चाहे जो भी हो, काला या सफेद, बड़े सौदे करने और बड़ी रकम इकट्ठा करने के सभी अधिकार इस 'पसंदीदा सलाहकार' को दिए गए थे। कैप्टन के कार्यकाल के दौरान, सरकारी भ्रष्टाचार और सतर्कता का प्रहरी, पंजाब विजिलेंस ब्यूरो, पंजाब भ्रष्टाचार ब्यूरो के रूप में कुख्यात था और भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा केंद्र बना रहा। सिंचाई विभाग का 1000 करोड़ रुपये का घोटाला जिसका आज मीडिया में प्रमुखता से जिक्र हो रहा है जिसमें बरामद की गई राशि भी शामिल है जहां सतर्कता विभाग की फाइलों की धूल चट रहा है. वहां ये सभी कुख्यात नाम सोशल मीडिया पर सक्रिय रूप से घूम रहे हैं और लोगों की आंखों में सभी दिखाई दे रहे हैं.
लेकिन विजिलेंस विभाग ने इस लंबे 1000 करोड़ के 'घोटाले' को 'कोल्ड स्टोरेज' में क्यों रखा और किसके कहने पर रखा गया और मामले को दबाने के लिए कितने करोड़ रुपये 'थैंक्सगिविंग कमीशन' के तौर पर ' लिए गए ? यह सबसे बड़ा सवाल है और एक बड़ी जांच का विषय है। इस बात की भी जांच होनी चाहिए कि कैप्टन अमरिंदर सिंह का यह पसंदीदा सलाहकार, जिसे कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कैबिनेट मंत्री के पद से सम्मानित किया था और जिसके पीछे काले कमांडो से लैस सरकारी वाहन चलते थे। इस सलाहकार द्वारा साल 2017 से 2022 तक जो बड़ी संपत्ति बनाई गई है, उसके लिए इतना बड़ा पैसा कहां से आया है?