* शिक्षा बोर्ड, पंजाब सरकार और पुलिस प्रशासन की तरफ से दोषियों ख़िलाफ़ नहीं की कोई कार्यवाही: बलदेव सिंह सिरसा
मोहाली, 5 फरवरी : पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड की तरफ से 10 2के बच्चों को पंजाब के स्कूलों में एक प्राईवेट लेखक की तरफ से लिखी लिखित को सरकार की तरफ से दी परवानगी के आधार पर पढ़ाई जा रही है, जिस में गुर इतिहास और सिक्ख इतिहास को एक गहरी साजिश के अंतर्गत तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया है।
इन शब्दों का दिखावा यहाँ मोहाली प्रैस क्लब में एक प्रैस कान्फ़्रेंस दौरान बोलते स. बलदेव सिंह सिरसा ने सबूत के तौर पर मार्केट में से खुलेआम बिक रही ऐसीं किताबें पेश करते कहा कि आज भी यह किताबें धड़ल्ले के साथ मार्केट में बिक रही हैं। यदि यह किताबें प्रवानित नहीं हैं तो पब्लिशर विरुद्ध मामला दर्ज किया जाये। उन्होंने बताया कि इन किताबों में श्री गुरु नानक देव जी बारे लिखा है कि उन्होंने किसी भी हिंदु रीति रिवाज़ का विरोध नहीं किया, न ही कोई नयी संस्था चलाई, न ही किसी अलग धर्म की स्थापना की है और न ही उनके और हिंदु पंथ के विचारों में कोई अंत्र है। लेखक की तरफ से निष्कर्ष निकाला गया है कि श्री गुरु नानक देव जी हिंदु धर्म के ही प्रचारक थे।
स. बलदेव सिंह सिरसा ने आगे कहा कि इसी किताब में श्री गुरु तेग़ बहादुर जी सम्बन्धित पन्ना 113 पर लिखा है कि श्री गुरु तेग़ बहादुर जी धार्मिक कारणों करके शहीद नहीं था किया गया बल्कि वह एक राजनैतिक विद्रोही थे।
स. सिरसा ने प्रैस को बताया कि बाबा बन्दा सिंह बहादुर बारे भी इस किताब में बहुत घटिया दर्जो की शब्दावली लिखी गई है, जैसे कि बंदा सिघ बहादुर को मज़लूमों का ख़ून चूसण वाला, औरतों की इज़्ज़तें लूटने वाला एक राख़शिश बताया हैै।
उन्होंने बताया कि इस सम्बन्धित मैं शिक्षा बोर्ड, पंजाब सरकार और पुलिस प्रशासन को अनेकों शिकायतें की परन्तु इन की तरफ से दोषियों के ख़िलाफ़ कोई कार्यवाही नहीं की गई, जिस कारण अब हम तारीख़ 7 फरवरी 2022 को प्रातःकाल 11.00 बजे गुरुद्वारा आम साहब, मोहाली से चल कर पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड के चेयरमैन के दफ़्तर आगे धरना लाने का फ़ैसला किया है। इस मौके गुरिन्दर सिंह भंगू,बीकेयू (खोजा)। गुरनाम सिंघ जस्सड़ा, कुलविन्दर सिंह पंजोला आदि उपस्थित थे।
इस सम्बन्धित पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड के चेयरमैन डा. योगराज के साथ संपर्क करन पर उन्होंने कहा कि शिक्षा बोर्ड की तरफ से ऐसी कोई किताब स्वीकृत नहीं की गई। सिरसा जी की तरफ से जो गलतियाँ शिक्षा बोर्ड के ध्यान में लाईं गई हैं, उस सम्बन्धित समिति ने जो सिफ़ारशें की हैं, वह विचार अधीन हैं। यदि कोई लेखक अपने स्तर पर किताब बेचता है, तो वह ख़ुद ज़िम्मेदार है। जिस समिति की तरफ से किताब के लिए शिफारशें की थीं, उस समिति विरुद्ध अनुशासनी कार्यवाही की जा रही है।