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आप ने स्वीकार की स्वास्थ्य मंत्री ओपी सोनी की चुनौती, बहस के लिए अपनी पसंद की तारीख, जगह और चैनल चुनने को कहा

Updated on Sunday, December 12, 2021 17:04 PM IST

 

चंडीगढ़, 12 दिसंबर 2021

आम आदमी पार्टी ने रविवार को पार्टी मुख्यालय से जारी अमन अरोड़ा (विधायक, सुनाम) और गुरमीत सिंह मीत हेअर (विधायक, बरनाला) के संयुक्त बयान के माध्यम से पंजाब के उप मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री ओपी सोनी द्वारा दी गई चुनौती को स्वीकार किया और उन्हें अपनी पसंद की जगह तारीख और चैनल चुनने को कहा। अपने साथी कांग्रेसी परगट सिंह के नक्शे कदम पर चलते हुए, पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री ओपी सोनी ने आम आदमी पार्टी को पंजाब और दिल्ली की स्वास्थ्य प्रणाली पर बहस के लिए चुनौती दी थी और पूछा था की उनकी सरकार ने अपने कार्यकाल में इसमें सुधार के लिए क्या किया है?

अमन अरोड़ा ने स्वास्थ्य मंत्री ओपी सोनी पर आंकड़ों के हेरफेर कर लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाया। मालूम हो कि एक इंटर्व्यू में पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री ओपी सोनी ने पंजाब और दिल्ली की स्वास्थ्य प्रणाली और चिकित्सा सुविधाओं के बीच तुलना कर आप को चुनौती देते हुए दावा किया था कि पंजाब हर मामले में दिल्ली से आगे है। उनके दावे पर प्रतिक्रिया  देते हुए आप नेता अमन अरोड़ा ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री सोनी पंजाब की स्वास्थ्य प्रणाली की वास्तविक स्थिति का उल्लेख करना भूल गए।

आंकड़ों के बारे में बात करते हुए अमन अरोड़ा ने कहा कि पंजाब और दिल्ली की स्वास्थ्य सेवा की तुलना करने की जल्दी में, ओपी सोनी यह भूल गए कि पंजाब की स्वास्थ्य व्यवस्था में राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित मानदंडों और डब्ल्यूएचओ मानकों के अनुसार भारी कमी है। पंजाब के गांवों में राष्ट्रीय मानदंडों के अनुसार 700 से अधिक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र होने चाहिए लेकिन इनकी संख्या केवल 416 ही हैं, इसी तरह हमारे ग्रामीण क्षेत्र में आबादी के हिसाब से लगभग 200 सीएचसी की आवश्यकता है लेकिन हमारे पास केवल 87 हैं। इन 87 सीएचसी में एक भी केंद्र दिन-रात नहीं चलता। स्वस्थ सेवाएं प्रदान करने के लिए आपातकालीन सेवाएं या सभी आवश्यक विशेषज्ञ भी नहीं हैं। अमन अरोड़ा ने कहा कि इनमें से 80% सीएचसी बिना किसी विशेषज्ञ के हैं। उन्होंने सोनी को ग्रामीण क्षेत्र में एक सीएचसी का नाम देने की चुनौती दी जो राष्ट्रीय मानदंडों के अनुसार सही सेवाएं प्रदान कर रहा हो।
    
उन्होंने कहा कि राज्य में कुछ प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की इमारतों को भी असुरक्षित घोषित कर दिया गया है, वहां दवाओं, उपकरणों और कर्मचारियों की उपलब्धता की तो बात ही छोड़ दीजिए। 2019 की केंद्रीय स्वास्थ्य और कल्याण मंत्रालय की रिपोर्ट में राज्य में 50% से अधिक पीएचसी किसी भी मानदंड को पूरा नहीं करते थे और इसलिए उन्हें ग्रेड के लिए योग्य भी नहीं माना गया। ओपी सोनी पंजाब के लोगों को बताएं कि उनकी सरकार ने इन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के लिए क्या किया है?

अरोड़ा ने कहा कि सोनी केवल आंकड़ों के साथ पंजाब के लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि वे वास्तव में उस दयनीय स्थिति की वास्तविकता को छिपाने की कोशिश कर रहे हैं जिसके तहत  राज्य के सरकारी अस्पताल, उप केंद्र, पीएचसी और सीएचसी चल रहे हैं। आप नेता के अनुसार खराब प्रबंधन और सार्वजनिक क्षेत्रों, विशेषकर शिक्षा और स्वास्थ्य के प्रति कांग्रेस सरकार की गैर-गंभीरता, इन प्रणालियों और सुविधाओं के बिगड़ने का प्रमुख कारण है। उन्होंने कहा कि बादल-भाजपा और कांग्रेस के शासन में पंजाब के सरकारी अस्पतालों, प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों समेत पूरी सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था को तबाह हो गया है, लेकिन उनमें से किसी ने भी कभी इसकी तरफ ध्यान नहीं दिया, क्योंकि वे चाहते थे कि निजी क्षेत्र पंजाब में फले फूले। अब निजी स्वास्थ्य सुविधाएं इतनी महँगी हो गई हैं कि आम लोग इलाज का खर्च भी नहीं उठा सकते और वे केवल भगवान की दया पर जी रहे हैं।     
एनएचएम (राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन) के तहत सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी, डॉक्टर, नर्स, क्लर्क और अन्य संविदा कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर लगातार धरना दे रहे हैं, लेकिन राज्य सरकार ने इस पर आंखें मूंद ली है। अमन अरोड़ा ने कांग्रेस सरकार पर जानबूझकर सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को बर्बाद करने और मेहनतकश कर्मचारियों को उचित वेतन नहीं देने का आरोप लगाया। उन्होंने आगे कहा कि यदि स्वास्थ्य मंत्री वास्तव में पंजाब की स्वास्थ्य प्रणाली के बारे में जानकारी देना चाहते हैं तो उन्हें विभिन्न स्वास्थ्य कर्मियों के मुद्दे को समझना चाहिए, जो वर्तमान में किसी न किसी कारण से हड़ताल पर हैं। वह सभी रिक्तियों, उपकरणों की कमी, दवाओं और दयनीय स्थिति के बारे में भी जानकारी दें जिसमें अधिकांश स्वास्थ्य केंद्र चल रहे हैं।
उन्होंने पंजाब में आज 1980 की तरह ही डॉक्टरों के स्वीकृत पदों की संख्या और पिछली शिअद-भाजपा सरकार द्वारा विशेषज्ञों के पदों को समाप्त करने के मुद्दे पर भी जोर दिया। उन्होंने आगे कहा कि राज्य में नर्सों के एक तिहाई पद और फार्मासिस्ट के आधे से अधिक पद खाली हैं।

इसी मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए आप विधायक (बरनाला) गुरमीत सिंह मीत हेअर ने कहा कि आम आदमी पार्टी स्वास्थ्य मंत्री की इस चुनौती का स्वागत करती है क्योंकि ऐसे मुद्दों पर व्यापक रूप से चर्चा होनी चाहिए और बुनियादी जरूरतों के मुद्दे की राजनीति में जगह होनी चाहिए। उन्होंने  दावा किया कि यह चुनौती शिक्षा मंत्री परगट सिंह की चुनौती की तरह ही होगी। उन्होंने डिप्टी सीएम से बाद में मैदान से नहीं भागने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि पिछले पांच सालों में कांग्रेस सरकार ने इस क्षेत्र के लिए कुछ नहीं किया और अब डिप्टी सीएम लोगों को धोखा देने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि हम सभी जानते हैं कि राज्य में गुणवत्तापूर्ण इलाज आम लोगों की पहुंच से बाहर हो गया है।  सरकारी अस्पताल, पीएचसी और सीएचसी बिना डॉक्टर, लैब टेक्नीशियन और नर्सिंग स्टाफ के हैं। उन्होंने कहा कि पंजाब में केवल आप की सरकार ही स्वास्थ्य और शिक्षा प्रणाली में सुधार कर सकती है और इसे आम लोगों और पंजाबियों के लिए सस्ती बना सकती है।

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